राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार जी ने कहा कि संघ की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल बैठक में संगठन की गुणात्मकता बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी. यह बैठक 31 अक्तूबर से 2 नवंबर तक ठाणे स्थित केशवसृष्टि में आयोजित की गई है.
संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अरुण कुमार जी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्ष में दो बार इस प्रकार की बैठकों का आयोजन करता है. मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा बैठक में करीब 1400 सदस्य हिस्सा लेते हैं. जबकि दशहरे से दीवाली के बीच होने वाली बैठक में करीब 350 सदस्य उपस्थित रहते हैं. बुधवार से शुरू हो रही बैठक में संघ के 11 क्षेत्रों एवं 43 प्रांतों के संघचालक, कार्यवाह एवं प्रचारकों सहित सात आनुशांगिक संगठनों के संगठन सचिव हिस्सा लेंगे. बुधवार को सुबह 8:30 बजे केशवसृष्टि प्रांगण स्थित रामरतन विद्यामंदिर के बालासाहब देवरस सभागार में बैठक शुरू होगी. जिसमें पूरे समय संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत एवं सरकार्यवाह भय्याजी जोशी उपस्थित रहेंगे.
बैठक के दौरान प्रतिनिधि सभा बैठक में बनाई गई योजनाओं की समीक्षा के साथ-साथ देश की वर्तमान परिस्थितियों के परिप्रेक्ष्य में समसामयिक विषयों पर भी चर्चा होगी. बैठक में संगठन की गुणात्मकता बढ़ाने पर चर्चा की जाएगी. उन्होंने कहा कि कार्यकारी मंडल बैठक में इस विषय पर भी विचार होगा कि देश के विचारवान लोगों तक अपनी पहुंच कैसे बढ़ाई जाए और संघ की आंतरिक संगठन को किस प्रकार मजबूत किया जाए. लेकिन कोई नया प्रस्ताव इस बैठक में नहीं लाया जाएगा.
इस दौरान पत्रकारों द्वारा श्रीरामजन्मभूमि के संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए अरुण जी ने कहा कि उच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्वीकार किया था कि उपरोक्त स्थान रामलला का जन्म स्थान है. तथ्य और प्राप्त साक्ष्यों से भी यह सिद्ध हो चुका है कि मंदिर तोड़कर ही वहाँ कोई ढांचा बनाने का प्रयास किया गया और पूर्व में वहाँ मंदिर ही था. संघ का मत है कि जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर शीघ्र बनना चाहिए और जन्म स्थान पर मन्दिर निर्माण के लिये भूमि मिलनी चाहिए. मन्दिर बनने से देश में सद्भावना व एकात्मता का वातावरण निर्माण होगा. इस दृष्टि से सर्वोच्च न्यायालय शीघ्र निर्णय करे, और अगर कुछ कठिनाई हो तो सरकार कानून बनाकर मन्दिर निर्माण के मार्ग की सभी बाधाओं को दूर कर श्रीराम जन्मभूमि न्यास को भूमि सौंपे. उन्होंने कहा कि जब से यह आंदोलन प्रारंभ हुआ है पूज्य संतों और धर्म संसद के नेतृत्व में आन्दोलन चल रहा है, और उसका हमने समर्थन किया है, आगे भी वे जो निर्णय करेंगे उसमें हम उनका समर्थन करेंगे.