हिन्दू धर्म के रक्षक श्री सत्य साईं बाबा

श्री सत्य साईं बाबा

श्री सत्य साईं बाबा

चमत्कारी संत सत्यसाईं बाबा (23 नवम्बर/जन्म-दिवस)

भारत देवी, देवताओं और अवतारों की भूमि है। यहां समय-समय पर अनेक महापुरुषों ने जन्म लेकर मानवता के कल्याण के लिए अपना जीवन अर्पण किया है। ऐसे ही एक श्रेष्ठ संत थे श्री सत्य साईं बाबा। बाबा का जन्म 23 नवम्बर, 1926 को ग्राम पुट्टपर्थी (आंध्र प्रदेश) के एक निर्धन मजदूर पेंडवेकप्पा राजू और माता ईश्वरम्मा के घर में हुआ था।

उनका बचपन का नाम सत्यनारायण राजू था। बचपन में उनकी रुचि अध्यात्म और कथा-कीर्तन में अधिक थी। कहते हैं कि 14 वर्ष की अवस्था में उन्हें एक बिच्छू ने काट लिया। इसके बाद उनके मुंह से स्वतः संस्कृत के श्लोक निकलने लगे, जबकि उन्होंने संस्कृत कभी पढ़ी भी नहीं थी। इसके कुछ समय बाद उन्होंने स्वयं को पूर्ववर्ती शिरडी वाले साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया और कहा कि वे भटकी हुई दुनिया को सही मार्ग दिखाने आये हैं।

शिरडी वाले साईं बाबा के बारे में कहते हैं कि उन्होंने 1918 में अपनी मृत्यु से पहले भक्तों से कहा था कि आठ साल बाद वे मद्रास क्षेत्र में फिर जन्म लेंगे। अतः लोग सत्यनारायण राजू को उनका अवतार मानने लगे। क्रमशः उनकी मान्यता बढ़ती गयी और पुट्टपर्थी एक पावन धाम बन गया। बाबा का लम्बा भगवा चोगा और बड़े-बड़े बाल उनकी पहचान बन गये। वे भक्तों को हाथ घुमाकर हवा में से ही भभूत, चेन, अंगूठी आदि निकालकर देते थे। यद्यपि इन चमत्कारों को कई लोगों ने चुनौती देकर उनकी आलोचना भी की।

बाबा ने पुट्टपर्थी में पहले एक मंदिर और फिर अपने मुख्यालय ‘प्रशांति निलयम्’ की स्थापना की। इसके अतिरिक्त उन्होंने बंगलौर तथा तमिलनाडु के कोडैकनाल में भी आश्रम बनाये। बाबा भक्तों को सनातन हिन्दू धर्म पर डटे रहने का उपदेश देते थे। इससे धर्मान्तरण में सक्रिय मुल्ला-मौलवियों और ईसाई मिशनरियों के काम की गति अवरुद्ध हो गयी।

बाबा का रुझान सेवा की ओर भी था। वे शिक्षा को व्यक्ति की उन्नति का एक प्रमुख साधन मानते थे। अतः उन्होंने निःशुल्क सेवा देने वाले हजारों विद्यालय, चिकित्सा केन्द्र और दो बहुत बड़े चिकित्सालय स्थापित किये। इनमें देश-विदेश के सैकड़ों विशेषज्ञ चिकित्सक एक-दो महीने की छुट्टी लेकर निःशुल्क अपनी सेवा देते हैं। उन्होंने पुट्टपर्थी में एक स्टेडियम, विश्वविद्यालय तथा हवाई अड्डा भी बनवाया। विदेशों में भी उन्होंने सामान्य शिक्षा के साथ ही वैदिक हिन्दू संस्कार देने वाले अनेक विद्यालय स्थापित किये।

आंध्र प्रदेश में सूखे से पीड़ित अनंतपुर जिले के पानी में फ्लोराइड की अधिकता से लोग बीमार पड़ जाते थे। इससे फसल भी नष्ट हो जाती थी। बाबा ने 200 करोड़ रु. के व्यय से वर्षा जल को संग्रहित कर पाइप लाइन द्वारा पूरे जिले में पहुंचाकर इस समस्या का स्थायी समाधान किया। इस उपलक्ष्य में डाक व तार विभाग ने एक डाक टिकट भी जारी किया।

पूरी दुनिया में बाबा के करोड़ों भक्त हैं। नेता हो या अभिनेता, खिलाड़ी हो या व्यापारी, निर्धन हो या धनवान,..सब वहां आकर सिर झुकाते थे। सैकड़ों प्राध्यापक, न्यायाधीश, उद्योगपति तथा शासन-प्रशासन के अधिकारी बाबा के आश्रम, चिकित्सालय तथा अन्य जनसेवी संस्थाओं की देखभाल करते हैं।

हिन्दू धर्म के रक्षक श्री सत्य साईं बाबा 24 अपै्रल, 2011 को दिवंगत हुए। उन्हें पुट्टपर्थी के आश्रम में ही समाधि दी गयी। उनके भक्तों को विश्वास है कि वे शीघ्र ही पुनर्जन्म लेकर फिर मानवता की सेवा में लग जाएंगे।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

nineteen + 7 =