सहकारिता के साथ प्रयोग करना बंद करें—श्री मुकेश मोदी

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”जहां गरीबी, अमीरी का अंतर समाप्त करने के लिए सहकारिता जरूरी है वहीं यह भी जरूरी है कि सहकारिता के साथ प्रयोग करना बंद किया जाए तथा स्वतंत्र स्वायत सहकारिता स्थापित हो।” यह कहना है सहकार भारती के राष्ट्रीय मंत्री एवं राजस्थान प्रदेशाध्यक्ष श्री मुकेश मोदी का। वे रविवार को अखिल भारतीय सहकार भारती के राज्य स्तरीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए बोल रहे थे।
श्री मोदी ने कहा कि सरकारें सहकारिता को समझने में विफल रहीं है और उसके द्वारा लगातार प्रयोग जारी रहे। परिणाम स्वरूप यह क्षेत्र आज भी पिछड़ा है। राजेनता इस पर गंभीर नहीं रहे। वे विकास का मॉडल ढूंढते रहे व आम आदमी की जिंदगी में बदलाव लाने वाली सहकारिता पिछड़ती चली गई।
उन्होंने कहा कि हम कौन से मार्ग पर हैं, यही तय नहीं है। तमाम सरकारों को पश्चिम आकर्षित करता रहा जबकि पश्चिमी देश भारत को गुरु मानते आ रहे हैं। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि राष्ट्रीयकृत बैंकों के घाटे को पूरा करने के लिए सरकार व रिजर्व बैंक उदार हो जाते हैं, करोड़ों की सहायता दी जाती है। अरबन को-ऑपरेटिव बैंक्स के बोर्ड भंग कर प्रशासक लगा दिए जाते हैं। ऐसे दोहरे मानदंड का विरोध होना चाहिए क्योंकि यह नुकसान सिर्फ सहकारिता का नहीं है, यह आम आदमी के उन सपनों को भी खंडित करता है जो उसने सुखी रहने के लिए देखे होते हैं।
सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्योतिंद्र भाई मेहता ने रिजर्व बैंक के ओवर रेगूलेशन व कारपोरेट गवर्नेंस की सोच पर सवाल खड़ा करते हुए को-ऑपरेटिव गवर्नेंस को बेहतर बताया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि हम पर निजीकरण का दबाब है साथ ही मुखर होकर अपनी बात रखी कि निजीकरण के लिए लालच देना व दबाब बनाना बंद होना चाहिए। मेहता ने बैंकों की आर्थिक सुरक्षा के लिए अम्ब्रैला परियोजना का प्रारूप भी प्रस्तुत किया।
अखिल भारतीय सहकार भारती के संरक्षक सतीश मराठे ने कहा कि आने वाला समय डिजिटल क्रांति का है जिससे परिचालन व्यय में ७० प्रतिशत तक की कमी आएगी। बैंकों की लाभप्रदता में इजाफा होगा। राष्ट्रीय संगठन मंत्री विजय देवांगन ने कहा कि अपनी मांगों के लिए हमें अपनी आवाज दिल्ली तक पहुंचानी होगी।11159af0-3138-4734-a9f6-0e570677f0498481b1ad-5877-4a53-95d0-9e8211e6a3da
फोटो—अखिल भारतीय सहकार भारती सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते श्री मुकेश मोदी एवं उपस्थित सहभागी।

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